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जजपा में नहीं रूक रहा इस्तीफों का दौर,जानिए अब किसने छोड़ी पार्टी

सत्य ख़बर,चंडीगढ़।

हरियाणा में जननायक जनता पार्टी (जजपा) में इस्तीफों का दौर अभी थमा नहीं है। अंबाला में भी जजपा को बड़ा झटका लगा है। 2019 में अंबाला सिटी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले और वर्तमान में पार्टी के प्रदेश महासचिव हरपाल कंबोज ने पार्टी को अलविदा कह दिया है।

अंबाला में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हरपाल कंबोज ने यह घोषणा की। कंबोज ने कहा कि उन्होंने अपना इस्तीफा पार्टी सुप्रीमो डॉ. अजय चौटाला को भेज दिया है। पिछले 20 से 25 वर्षों से वह देवीलाल परिवार से जुड़े हुए हैं और जजपा के गठन से ही वे अजय चौटाला और दुष्यंत के साथ थे। हरपाल सिंह कंबोज पार्टी के 4 साल जिलाध्यक्ष भी रहे।

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कंबोज ने कहा कि सबसे पहले मैंने ही अंबाला में जजपा का झंडा उठाया है। राजनीति भाइयों के साथ होती है। फैसला भी भाइयों के कहने पर ही लिया है। इस्तीफा देने के पीछे क्या कारण रहे हैं, इस पर कंबोज ने कहा कि कोई खास कारण नहीं है। मेरे व्यक्तिगत कारण रहे हैं। किसी से कोई मतभेद नहीं है। आगामी फैसले के लिए वे अपने भाइयों (वर्कर्स) के साथ विचार करेंगे, उसके बाद ही अगला फैसला लिया जाएगा। जजपा में इस्तीफों का दौर BJP से गठबंधन टूटने से शुरू हुआ। जजपा के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह भी पार्टी छोड़ चुके हैं। दिसंबर 2018 में जजपा बनने के साथ ही उन्हें प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंपी गई थी। 2021 और 2023 में जजपा के पूरे संगठन में फेरबदल हुआ, लेकिन निशान सिंह को हर बार प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली।

बरवाला से जजपा के विधायक जोगीराम सिहाग भी इस्तीफा दे चुके हैं। पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव और नारनौल नगर परिषद की चेयरपर्सन कमलेश सैनी भी इस्तीफा सौंप चुकी है। इसके साथ ही जजपा की प्रदेश महासचिव रेखा शाक्य ने भी पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया है। वह 2019 में ही भाजपा को छोड़कर जजपा में शामिल हुई थीं।

पार्टी की प्रदेश महिला सचिव ममता कटारिया भी पार्टी को अलविदा कह चुकी हैं। उन्होंने वीडियो जारी कर कहा था कि दुष्यंत चौटाला ने डिप्टी CM रहते हुए रतिया हलके को बिल्कुल अनदेखा कर दिया। रतिया में कोई काम नहीं हुआ। भाजपा से गठबंधन टूटने के साथ ही जजपा में मनमुटाव बढ़ा है। 10 में से 5 विधायक लगातार नाराज चल रहे हैं। इनमें पूर्व मंत्री देवेंद्र बबली, ईश्वर सिंह, रामनिवास सुरजाखेड़ा और रामकुमार गौतम शामिल हैं। जोगीराम सिहाग इनमें इस्तीफा दे चुके हैं।

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भाजपा सरकार में बदलाव के बाद जब विधानसभा में बहुमत साबित करने का वक्त आया तो जजपा ने व्हिप जारी कर विधायकों से सदन में वोटिंग में शामिल न होने को कहा था। इसके बावजूद पांचों विधायक सदन में पहुंचे थे, हालांकि कुछ देर सदन में रहने के बाद वह वापस चले गए थे।

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